अमेरिका में राजनीतिक वातावरण एक बार फिर से गर्म हो चुका है क्योंकि राष्ट्रपति जो बाइडेन अपने दूसरे कार्यकाल के लिए बिड लगा रहे हैं। इस दौड़ में प्रमुख घोषित और संभावित विपक्षी उम्मीदवारों में उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप, निक्की हेली और Vivek Ramaswamy शामिल हैं।
इस बार खास बात यह है कि निक्की और विवेक, दोनों ही भारतीय मूल के हैं। जहाँ एक ओर निक्की हेली पहले से राजनीति में स्थापित नाम हैं, वहीं विवेक रामास्वामी ने तेजी से चर्चा में आकर सभी का ध्यान खींचा है।
Vivek Ramaswamy
विवेक रामास्वामी, 38 वर्षीय उद्यमी, पहली रिपब्लिकन बहस से उभर कर सबसे चर्चित उम्मीदवार बन चुके हैं। उनकी प्रेरक बयानबाजी के बल पर उन्हें उम्मीद है कि वह व्हाइट हाउस तक का सफर तय कर सकते हैं। रामास्वामी ने नीतियों, कानूनों, शिक्षा और युद्धों को लेकर अपने स्पष्ट विचार प्रकट किए हैं।
उन्होंने एक बयान में कहा कि वह 18 से 24 वर्ष की उम्र के नागरिकों को तभी वोट डालने की अनुमति देंगे, जब वे सैन्य सेवा में भर्ती हों, प्रथम प्रतिक्रिया देने वाले के रूप में कार्यरत हों, या नागरिक शास्त्र की परीक्षा पास करें। राजनीतिक नौसिखिए विवेक ने ट्रंप को अब तक का सबसे अच्छा राष्ट्रपति बताया है और रिपब्लिकन प्राइमरीज के लिए होने वाले मतदानों में वे चौथे स्थान पर हैं, जो कि 2024 की शुरुआत में शुरू होंगे।
Join Forces with @VivekgRamaswamy & Seize Back Our Nation! pic.twitter.com/9TjFYsBjJO
— Vivek Ramaswamy’s War Room (@ViveksWarRoom) July 27, 2023
Nikki Haley
दूसरी ओर, निक्की हेली, जो कि दक्षिण कैरोलिना की पूर्व गवर्नर रह चुकी हैं और ट्रंप की पहली संयुक्त राष्ट्र दूत थीं, वे रिपब्लिकन प्राइमरी प्रतियोगिता में इकलौती महिला हैं। निक्की ने कभी भी चुनाव में हार नहीं मानी है। भारतीय प्रवासियों की 51 वर्षीय बेटी ने ट्रंप प्रशासन में अपने समय को गर्व से याद किया है। हालांकि, उन्होंने 2020 के चुनाव के बाद अपने पूर्व बॉस डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मतदान धोखाधड़ी के दावों की आलोचना की है जिसे उन्होंने चुनाव हारने का कारण बताया था।
ऐसे में सवाल उठता है, क्या इंग्लैंड के बाद अमेरिका का राष्ट्रपति भी भारतीय मूल का होगा? जैसा कि विवेक रामास्वामी और निक्की हेली दोनों ही अपनी राजनीतिक योग्यता और पहचान के बल पर आगे बढ़ रहे हैं, यह संभावना अब दूर की कौड़ी नहीं लगती। अमेरिका की राजनीतिक धरती पर भारतीय मूल के ये उम्मीदवार किस तरह से अपनी छाप छोड़ते हैं, यह तो समय ही बताएगा, पर इतना स्पष्ट है कि इनकी प्रगति भारतीय समुदाय के लिए एक गर्व का विषय है।